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प्रतिलिपि
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आभार समस्त ब्रहमांड के प्रति-4 का भाग 1

विवरण
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बेबी। हमेशा याद रखने की कोशिश करो। केवल याद रखो जब भी आप कर सको, संबंध स्वयं का अपने दिव्य स्व के साथ। साथ अधिक महान दिव्य के सभी दिव्यताओं के। हमेशा याद रखने की कोशिश करो। जब आप खाते हो, आप प्रभु को धन्यवाद करो। जब आप पीते हो, आप प्रभु को धन्यवाद करो। यहाँ तक कि जब आप शौचालय जाते हो, आप पेड़ों का धन्यवाद करो टॉयलेट पेपर के लिए। नहीं , मुझे खेद है, हम काटते हैं अरबों पेड़ों को हर साल केवल शौचालय में फेंकने के लिए, और अन्य चीज़ें। यह सारा पुन:चक्रित नहीं होता। हर बार नए पेड़ होते हैं। और हम इसका प्रयोग करते हैं बिना सराहना किए पेड़ों की, बिना खेद महसूस किए पेड़ों के लिए, जंगल को धन्यवाद किए बिना, कुछ नहीं ।

तो, हर चीज़ जो हम यहाँ करते हैं, सबकुछ जो हमारे पास यहाँ है, यह याद दिलाने वाली होनी चहिए हमारी कृतज्ञता की पूरे ब्रहमांड की लिए, सारे आराम के लिए, सारी रचनाओं के लिए जो करते हैं हम पर कृपा, हमारी मदद, हमारे लिए प्रतिदिन बलिदान देते हैं। हम जो कुछ भी करते हैं, हम कभी पर्याप्त नहीं करते उसे चुकाने के लिए। तो केवल प्रार्थना करो कि आप पर्याप्त ध्यान करो ताकि आप सांझा कर सको कुछ आध्यात्मिक योग्यता को अपने आसपास इन रचनाओं के साथ; धरती जिस पर आप चलते हो, हवा जिसमें आप सांस लेते हो, आकाश जो बाहें फैलाता है दिन भर आपके लिए, आपको खूबसूरत रंग देता है आपकी आंखों को सुख पहुंचाने के लिए और महसूस करवाने के लिए कि आप है बढ़े हुए, और आपका सांस नहीं घुट रहा कहीं पर एक छोटे से क्षेत्र में परन्तु आपके पास पूरा आकाश है, और सभी पेड़ जो ऑक्सीजन देते हैं और अपनी छाया देते हैं और अपना फल देते हैं, और सारी स​ब्ज़ियाँ जो अपना जीवन दे देती हैं आपके जीवन के लिए। जो भी हमें जरूरत होती है या हमारे पास कभी हो या हम प्रयोग करते हैं हमें याद दिलाती है उस जोड़ की सभी चीज़ों के साथ और दिव्य की। तो हम प्रभु को धन्यवाद करें, सभी देवताओं को धन्यवाद करें, और देवियों को और सर्वशक्तिमान परमेश्वर को सभी चीज़ों के लिए जो हमारे पास हैं।

और हम सभी जीवों से क्षमा मांगे उस नुकसान के लिए जो हमनें पहुँचाया है या हम उनको पहुँचा रहे हैं दुर्घटनावश या कभी कभी जानबूझकर अपनी ज़रूरतों के लिए, अपने आराम के लिए। कर्इ जीव पी​ड़ित होते हैं, हमारे लिए बलिदान देते हैं। तो हर अवसर का प्रयोग करो याद रखने के लिए कि हम हैं सभी के संपर्क में, कि हम कर्जदार हैं सभी जीवों में विद्यमान दिव्यता के और हम उन सबको धन्यवाद करें। कभी भूलो मत। कभी मत भूलो जब आप खाते हो, जब आप पीते हो, जब आप शौचालय जाते हो, जब आप साबुन का भी प्रयोग करते हो। जो आया है कहीं से कुछ पेड़ों से, कोर्इ जैतुन का पेड़, शायद नारियल तेल। यहाँ तक समुद्र को जो समुद्री शैवाल पैदा करता है जिससे साबुन बनता है, समुद्र से नमक, या खानों से, सबकुछ पैदा होता है हमारे आराम के लिए। और इसलिए, जब भी हम उनका प्रयोग करें, हमें हमेशा प्रभु को याद करना चाहिए। हम सभी जीवों को धन्यवाद करें और हम प्रभु को धन्यवाद करें। कम से कम, हम उन्हें धन्यवाद करें।

चाहे हमारे पास खरीदने के लिए पैसे हों, यदि हमें लगता है कि हम इसके लायक हैं, चाहे यदि ये चीज़ें हैं बस दैनिक उपयोग की और हम यहाँ तक कि नहीं अब और उनके बारे में सोचते हैं, परन्तु हमें उनका प्रयोग करना चाहिए स्वयं को याद दिलाने के लिए, जुड़े रहने के लिए। ठीक है? (ठीक है।) वह भी अभ्यास है। मैं भी वैसा करती हूं। यह एक सलाह है मैं आपको दे रही हूं। मैं कभी भी भूलती नहीं हूं। जब हम सांस लेते हैं, हम नुकसान पहुंचाते हैं कर्इ अदृश्य जीवो की भी। तो प्रतिदिन, यदि हम सराहना नहीं कर सकते हर समय, सुबह, आप एक अच्छे दिन के लिए सराहना करो जो आने वाला है और सुरक्षा के लिए जो आपको दिख रही है या नहीं दिख रही। शाम को, आप धन्यवाद करो सभी अच्छे दिनों के लिए जो गुज़र गए हैं और सभी चीज़ों के लिए जो आपके पास हैं जो आपके जीवन को बनाती हैं एक स्वर्ग धरती पर। यहाँ तक कि यदि कभी कभी यह यहाँ पर असुविधाजनक हो, परन्तु फिर भी, सबकुछ हमारे लिए है, हमें आराम देने के लिए और हमारे जीवन को बनाने के लिए यहाँ पर बहुत खूबसूरत।

हम हैं एक बहुत ही भाग्यशाली समूह लोगों का। पैसा होना ही नहीं होता अनिवार्य रुप से एक भाग्यशाली शकुन। हम भाग्यशाली हैं क्योंकि हमारे पास पर्याप्त है जीने के लिए और हमारे पास आध्यात्मिक शक्ति है निर्भर रहने के लिए। मुसीबत के समय, निराशा के समय, कर्इ लोगों के पास नहीं होता, नहीं होता एक अंशमात्र भी जितना हमारे पास है। तो हमें हमेशा रखना चाहिए याद धन्यवाद करना। जब हम दिव्य को धन्यवाद करते हैं, हम भी संपर्क में होते हैं दिव्य के साथ, ना केवल जब हम ध्यान करते हैं।

और हमें धन्यवाद करना होगा जल देव को, वर्षा देव को। हम सभी देवताओं का धन्यवाद करें। मैं सभी को धन्याद नहीं कर सकती, परन्तु जब भी मुझे याद आता है, यदि मैं पानी इस्तेमाल करती हूं, मैं जल देवता का धन्यवाद करती हूं। यदि मैं स​ब्ज़ियों का इस्तेमाल करती हूं, मैं सभी स​ब्ज़ियों का धन्यवाद करती हूं जिन्होंने मेरे लिए बलिदान दिया, और परी को धन्यवाद करती हूं, देवता को जो उनका ध्यान रखते हैं ताकि वे अच्छे से उग सकें, स्वादिष्ट रूप से। पेड़ों का धन्यवाद करती हूं जो मुझे फल देते हैं, हालांकि मैं उस पेड़ को नहीं देख सकती। परन्तु उस फल के माध्यम से मैं पेड़ को धन्यवाद करती हूं जिसने मुझे दिया है इतना खूबसूरत, स्वादिष्ट फल। और मैं पेड़ को आर्शीवाद देती हूं। हाँ? और मैं सांझा करती हूं कुछ आध्यात्मिक योग्यता अंकों को उनके विकास के लिए। यदि मैं गलती से एक चींटी को चोट पहुंचाती हूं या कुछ, मैं सांझा करती हूं अपने आध्यात्मिक योग्यता अंकों को उनके साथ। कोर्इ भी जीव, मैं हर रोज़ सांझा करती हूं। और हम इसी तरह रहते हैं हमेशा संपर्क में समस्त सृष्टि के। और रचनाओं के माध्यम से, हम देवताओं का धन्यवाद करते हैं और देवियों का और सर्वशक्तिमान का उन्हें बनाने के लिए, हमारी मदद करने के लिए। अच्छा? वह भी होता है ध्यान करना। हमेशा भगवान को याद करो। और रचनाओं के माध्यम से, हम याद रखें किसने उन्हें बनाया, और कौन उन पर कृपा बरसाता है, और किसने रचनाकारों को बनाया है। तो हम उन सभी का धन्यवाद करें।

प्रतिदिन मैं उनका धन्यवाद करती हूं। मैंने अपनी डायरी में लिखा है हर बार। प्रतिदिन, मैं कर्इ बार धन्यवाद करती हूं। जब मैंनें लिखे अपने आध्यात्मिक योग्यता अंकों को, या जो मैंने क्या अच्छा किया है आज, या जो मैंने पाया है, कोर्इ नर्इ आध्यात्मिक दिव्यता या कुछ, या कोर्इ ज्यादा गहन स्तर दिव्य जोड़ का, जब भी। हर रोज़, मैं धन्यवाद करती हूं। मैं लिखती हूं, “आपको अनंत धन्यवाद, आप सभी को जिन्होंने मेरी मदद की।” यहाँ तक कि मैं, एक गुरू के रूप में इस ग्रह पर, मुझे फिर भी मदद की आवश्यकता होती है। तो मैं सभी का धन्यवाद करती हूं। मैं उसे धन्यवाद करती हूं जो मेरे लिए पकाता है। मैं चावल के पौधों को धन्यवाद करती हूं। मैं पानी का धन्यवाद करती हूं। मैं पृथ्वी का धन्यवाद करती हूं। और मैं धन्यवाद करती हूं सारे स्वर्ग के संरक्षकों को और स्वर्गदूतों को जिन्होंने मेरी हर रोज रक्षा की, जितना भी वे कर सकते हैं, और सभी देवताओं और देवियों को जो मेरे जीवन में उपस्थित हुए भौतिक रूप में या अदृश्य रूप में मेरी कर्इ प्रकार से मदद करने के लिए। यहाँ तक कि राजा को, उसे मदद की आवश्यकता होती है। आप समझे मेरा मतलब? एक राजा, वह पूरे राष्ट्र पर राज करता है, परन्तु उसे अपनी सेना की जरूरत होती है अपने महल की रक्षा के लिए। उसे बावर्ची की ज़रूरत होती है उसके लिए खाना पकाने के लिए। उसे किसी की आवश्यकता होती है जो उसके कपड़े तैयार करे। सभी को किसी की आवश्यता होती है या कुछ। तो हम हमेशा रखें इस कृतज्ञता की भावना को अपने हृदय में। हमेशा शुक्रिया अदा करते रहो। जब भी हम धन्यवाद करते हैं, हम हमेशा परमात्मा को याद करते हैं, क्योंकि यह परमात्मा ही है जिन्होंने उन्हें बनाया है।
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