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प्रतिलिपि
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जीवित बुद्ध की तस्वीर से दिव्य कृपा-4 का भाग 2

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वे सभी शिक्षाएं जो मैंने तुम्हें दी हैं आपको ऊपर खींचने के लिए हैं। शिक्षण के 84,000 तरीकों से यही है इसका मतलब। को कुछ लोगों इसकी ज़रूरत होती है, और कुछ को उसकी जरूरत होती है, दूसरों को लाड दुलार की जरूरत है; और प्रगति करने के लिए कुछ को डांटने की जरूरत होती है। कईयों के साथ उन्नत होने के लिए थोड़ा रूखा व्यवहार करना पड़ता है। कुछ लोगों के साथ थोड़ा गर्मजोशी से व्यवहार करना पड़ता है, उदाहरण के लिए। कुछ लोगों की जरूरत होती है अंदर बहुत सारी "दवा" की। दूसरों को धीरे-धीरे लेकर जाना पड़ता है। बाहर और अंदर जुड़ना होता है; तो व्यक्ति प्रगति कर सकता है।

ऐसा नहीं है कि मैं बाहरी आविर्भाव के लिए आपको मजबूर करती हूं। मेरी तस्वीरें, भले ही वे चित्र हैं, मैं उनमें हूँ क्योंकि मैं अभी भी जिंदा हूँ, समझे? में अभी भी जिंदा हुँ। मुझसे संबंधित किसी भी चीज़ में मेरी ऊर्जा है। यह मेरा एक हिस्सा है। यही कारण है कि इसके अंदर मैं हूँ। इसलिए, कभी-कभी क्या आप मुझे देख सकते हैं मेरी तस्वीर से बाहर निकलते हुए। इसीलिए। मैं हर जगह हूँ, तो मेरी तस्वीर के अंदर क्यों नहीं, समझे? इसका मतलब यह नहीं है मैं बस तस्वीर में बैठी हुई हूँ, लेकिन मैं वहां पर भी हूं। इसका मतलब यही है। ऐसा नहीं है कि मैं वहां नहीं हूं। अगर मैं चित्रों के अंदर नहीं हूं, तो मैं "सर्वव्यापी नहीं हूं," क्या मैं हूँ? मैं हर जगह हूँ, तो मैं तस्वीरों के अंदर भी हूँ। यह सही है, क्योंकि मैं अभी भी जिंदा हूँ। यदि आप जाते हो उच्च स्तर के क्षेत्रों तक, तो भी आप मुझे देखेंगे। यदि आप नरक में जाते हैं, तो भी आप मुझे देखेंगे। एक सुंदर और साफ तस्वीर की तो बात ही क्या है, मुझे वहां क्यों नहीं बैठना चाहिए मज़े करने को?"

यही कारण है कि, कभी-कभी, जब आप मेरी तस्वीर पहनते हैं, आपके पास चमत्कारी अनुभव होते हैं या जब आप कुछ खाते हैं जो मैंने आपको दिया है, या जो मेरे पहने या छुए हुए कपड़े, या पहले इस पर बैठी हुई हूँ तो, इसमें मेरा प्यार है, इसमें मेरी ऊर्जा है। मैं हर जगह हूँ। खासकर अगर मेरा भौतिक शरीर इसके संपर्क में था, तो निश्चित रूप से इसमें मेरी ऊर्जा भी और अधिक होती है। जो भी आप सोचते हैं, जो मुझसे संबंधित है, यह मेरा है, समझे? यदि आप ऐसा कहते हैं मैं सर्वव्यापी हूं तो मैं पूरे ब्रह्मांड में हर जगह मौजूद हूं । मेरे लिए आरक्षित एक विशेष जगह की तो बात ही छोड़ो उदाहरण के लिए, मेरी तस्वीर मेरा स्थान है, मैं वहां कैसे नहीं हो सकती? यह और भी विशेष है, समझे? इसलिए कभी-कभी, आपने सुना है कि किसी ने कहा था कि मैं उनके घर आई थी और कुर्सी पर बैठी। यहां तक ​​कि यदि आपके घर में मेरे लिए कोई विशेष जगह आरक्षित नहीं है, मैं फिर भी आती हूँ मेरी कुर्सी की तो क्या ही बात है, मैं उस पर क्यों नहीं बैठूंगी?

यही कारण है कि बाहरी लोगों को कभी-कभी नहीं पता होता। वे कहते हैं कि मेरी तस्वीर पहनना मूर्तिपूजा है। लेकिन यह नहीं है। क्योंकि मैं अभी भी जिंदा हूँ, फिर सम्पूर्ण ब्रह्मांड मुझसे संबन्धित है मेरी तस्वीरों सहित। तो आप उन्हें पहन सकते हैं। मैं कहती हूँ, "ठीक है, मैंने पहले ही वादा किया था!" इसकी गारंटी है, समझे? हम यीशु से नहीं मिले थे। वह शायद पहले से ही अन्य क्षेत्रों में जा चुके होंगे। यह संभव है कि यीशु मसीह क्रॉस के अंदर भी है। लेकिन हम उनसे मुलाकात नहीं की है, हमारा उनके साथ कोई व्यक्तिगत संपर्क नहीं है, तो हमारा विश्वास मजबूत नहीं है। हम एक साधारण व्यक्ति को मजबूर नहीं कर सकते हैं उस पर विश्वास करने के लिए जो उसने देखा नहीं है, क्योंकि मन ऐसा ही है। जो भी हम देख सकते हैं, जानते हैं, पकड़ते हैं, तो हम जानते हैं कि इसका अस्तित्व है।क्योंकि यह अस्तित्व की दुनिया है, एक भौतिक दुनिया, इसलिए हमारे लिए अमूर्त चीजें करना या कल्पना करना बहुत मुश्किल है। तो हमें इससे जुडने के लिए कुछ भौतिक चाहिए, आध्यात्मिक पक्ष की ओर जाने के लिए। इसलिए, एक जीवित गुरु जी की तस्वीर पहनने से, आपका विश्वास मजबूत होता है किसी मृत व्यक्ति की एक तस्वीर पहनने से जिसका चेहरा आप नहीं जानते आप नहीं जानते कि क्या वह उसका असली चेहरा था, या क्या वह तस्वीर के अंदर होने के लिए सहमत था जो आप पहने हुए हैं या नहीं। तो आपको विश्वास नहीं होता है।

और यदि आपका विश्वास नहीं है तो जुड़ना मुश्किल होता है। बस इतना ही। क्योंकि दोनों को एक दूसरे के बारे में सोचना पड़ता है, तो वे जुड़ जा सकते हैं, समझे? क्योंकि अगर एक व्यक्ति इस तरह सोचता है, दूसरा व्यक्ति उस तरह सोचता है, तो इससे काम नहीं चलता है। उदाहरण के लिए, अगर बुद्ध और यीशु आपके बारे में सोचते हैं, लेकिन आप को नहीं पता होता कि वे मौजूद हों या नहीं, तो यह हवा में लटकने की तरह होता है और जुड़े नहीं होते है, तो यह काम नहीं करता है। लेकिन मैं अभी भी यहाँ हूँ, बहुत से लोगों को बहुत से चमत्कारी अनुभव हुए हैं, वे पहले से ही जानते हैं, वे पहले से ही विश्वास करते हैं। वे मेरा चेहरा देखते हैं, हर रोज मेरी आवाज सुनते हैं, तो यह इतना स्पष्ट होता है, तो हम दोनों एक दूसरे के बारे में सोच रहे होते हैं। मैं हमेशा तुम्हारे बारे में सोचती हूं, और आप हमेशा मेरे बारे में सोचते हैं। दोनों एक ही में जुड़े हुए हैं। एक जमा एक दो होते हैं, और फिर और वहाँ संपर्क सध जाता है। फिर यह आश्वासन मिल जाता है। तो एक अंतर है मेरी तस्वीर पहनने और अन्य चित्र पहनने में, समझे? (जी हाँ, हम समझ रहे हैं।) अन्य तस्वीरें जिन्हें हमने देखा नहीं है, या हम उस व्यक्ति को नहीं जानते हैं। लेकिन तस्वीर जिनसे हम मिले हैं और जानते हैं उसका मूल्य अधिक होता है। यह हमारा विश्वास मजबूत करता है। बस इतना ही। लेकिन यह अजीब है!

जो लोग निष्ठापूर्वक अभ्यास करते हैं, जो पूरी तरह से भगवान और बुद्ध में भरोसा करते हैं तो उनके जीवन में कम परेशानी होती है और उनकी बीमारियां भी कम हो जाती हैं। भले ही वे बीमार हों उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता, उन्हें लगता है कि यह महत्वपूर्ण नहीं है, है ना? ऐसा नहीं है वे बीमारी की तलाश करते हैं। हम आध्यात्मिक अभ्यासी स्वाभाविक रूप से हल्के होते हैं, ऐसा नहीं कि हम बीमार होना चाहते हैं। दुर्भाग्य से, अगर हम बीमार होते हैं तो हम इसे स्वीकार करते हैं; हम इसे इतनी गंभीरता से नहीं लेते हैं। क्या यह सच है? यदि आपके पास आध्यात्मिकता की कुंजी नहीं है, भले ही आपके पास स्वस्थ शरीर हो ज्यादा लाभ नहीं है। बहुत सारे लोग हैं जो शारीरिक रूप से मजबूत हैं। वे बहुत स्वस्थ दिखाई देते हैं गुलाबी गालें, सुंदर और युवा हैं लेकिन उनकी आध्यात्मिकता बहुत कम है। वे समझ नहीं सकते हैं जो आप कहते हैं। वे आध्यात्मिकता के मामलों के बारे में बिल्कुल भी पूछताछ नहीं करते हैं। उनकी इसमें रूचि नहीं होती है। यह अजीब है, है ना? बहुत से लोग खूबसूरत प्रतीत होते हैं लेकिन कोई आकर्षण नहीं होता है जब वे अपना मुंह खोलते हैं, सही? वे फालतू या बकवास बात करते हैं। लेकिन आध्यात्मिक अभ्यासी एक अपरिहार्य तरीके से सुंदर होते हैं, उनका व्यक्तित्व बहुत आकर्षक होता हैं।

एक क्षण पहले, जो उस महिला ने कहा उससे मुझे बहुत खुशी हुई। कम से कम मैंने बुहत सारे लोगों को प्रभावित किया है । उनके आध्यात्मिक अभ्यास में सुधार हुआ। इसका मतलब है कि वे प्रगति कर चुके हैं, समझे? उदाहरण के लिए अतीत में वे मांसाहारी से वीगन में परिवर्तित हो गए। इससे पहले कि आप उन्हें कुछ भी सिखा सकते थे, लेकिन अब यह सिर्फ एक सीधा रास्ता है वह है वीगन होना, उदाहरण के लिए। कई संप्रदाय बदल गए हैं। बहुत से लोग कहते हैं कि। मुझे ज्यादा नहीं पता और मैं समाचार पत्र नहीं पढ़ता हूं। लेकिन उन्होंने कहा, "जबसे गुरु जी ताइवान (फॉर्मोसा) आए हैं, लेखकों ने थोड़ा बेहतर लिखना शुरू किया, थोड़ा समान...” उन्होंने कहा, "थोड़ा गुरु जी के समान।" अतीत में, कई मंदिरों ने लोगों को शाकाहारी भोजन खाने के लिए याद नहीं करवाया अगर वे तीन रत्न का आश्रय लेना चाहते हैं।

अब वे समाचार पत्र में यह स्पष्ट रूप से प्रकाशित करते हैं: "तीन आश्रय लेने के लिए आपको एक महीने में कई दिनों के लिए वीगन होना चाहिए।" सही बात? पहले ऐसी बात नहीं थी। जब मैंने तीन आश्रय लिए, वीगन खाने के बारे में किसी ने भी उल्लेख नहीं किया, समाचार पत्रों में इसे प्रकाशित करने की बात ही छोड़ो। मैं तब एक वीगन थी, पर अन्य लोग वीगन नहीं थे, तथा किसी ने भी इसका उल्लेख नहीं किया।

लेकिन जब मैंने कहा इस विधि का अभ्यास करके आप इस जीवनकाल में मुक्त हो सकते हैं; तो वे आश्चर्यचकित थे? बस तीन आश्रय लो और आप तीनों दुख भरे पथ से मुक्त हो जाते हैं। मतलब निंदा नहीं की गई नरक की या राक्षस बनने की या एक जानवर और एक भाग्यशाली व्यक्ति के रूप में पुनर्जन्म होगा । जबकि इस विधि के अभ्यास के लिए, आपको शाकाहारी होना चाहिए और अवश्य ही दिन में ढाई घंटे साधना करनी चाहिए और समूह ध्यान में भाग लें और नियमों का पालन करें। तब आप इस जीवनकाल में मुक्त हो जाएंगे, और वे इस पर विश्वास नहीं करते हैं। अजीब, है ना?

तो मुझे आपको बताने दो: हालांकि लोग अंदर एक ही हैं, खुद को जानने के उनके स्तर भिन्न होते हैं। इसलिए, बहुत से लोग आध्यात्मिक रूप से बहुत अज्ञानी होते हैं। तो वे कर्म में विश्वास नहीं करते हैं, या वे विश्वास नहीं करते हैं अगले जीवन में, और वे पुनर्जन्म में विश्वास नहीं करते हैं। हालांकि वे देखने में एक इंसान ही होते हैं, उनका आध्यात्मिक स्तर अभी भी क ख ग स्तर पर होता है। इसलिए हर किसी को सिखाया नहीं जा सकता है।

उदाहरण के लिए, भले ही आप और मैं समान हैं, त्याग का हमारा स्तर भिन्न होता है और साहस का स्तर भिन्न होता है। जब मैंने अतीत में ताओ की खोज की, मैं हर चीज़ का त्याग सकती हूँ, अपने जीवन सहित। उदाहरण के लिए, अगर एक बुद्ध प्रकट होता और कहता: "अगर आप अभी मर जाएंगे, तो मैं आपको तुरंत एक बुद्ध बना दूँगा,” मैं इसे तुरंत कर देती। मैं उस स्तर तक था। इसलिए यह जल्दी था। शायद मैं एक लंबे समय से अभ्यास कर रही हूं, अनगिनत जीवनकाल में, तो मेरे विचार ऐसे हैं, ऐसे क्रियाकलाप इसलिए मेरा आध्यात्मिक स्तर स्वाभाविक रूप से उस तरह है, समझे? फिर वहाँ अन्य हैं, हे भगवान! यहां तक ​​कि यदि आप विनती करते हैं, वे ताओ के बारे में नहीं सोचेंगे।
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