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अब, अगर सभी मानव जीव शाकाहारी बन जाएं, तब धरती का संपूर्ण वातावरण बदल जाएगा। चुंबकीय क्षेत्र बदल जाएगा। सभी निवासियों की नियति बेहतर के लिए बदल जाएगी, और पशु भी मांस खाना बंद कर देंगे। और सचमुच मेमने शेर की बगल में लेटेंगे जैसा कि यह बाइबिल में उल्लिखित है अगर सभी लोग शाकाहारी में बदल जाएं। पशु भी हमारी चेतना के परावर्तन होते हैं, इसलिए, अगर हम एक उच्च चेतना में बदलते हैं, फिर पशु भी बदल जाएंगे। अगर नहीं, तो वे गायब हो जाएंगे। पसंद पसंद को आकर्शित करता है। अगर उस समय पशु मानव के स्तर की विनम्रता और करूणा में नहीं रह सकते, तब प्राकृतिक नियम उनको हटा देगा। फिर भी हम सर्वोत्तम के लिए आषा और प्रार्थना करते हैं, क्योंकि सभी लोग जानते हैं कि शाकाहारी आहार स्वास्थ्य के लिए और ग्रह को बचाने के लिए अच्छा है। इसलिए हम आशा करते हैं कि उनके इसका लाभ जानने के बाद, वे इससे जुड़े रहेंगे। मैं आशा करती हूं कि वे जबरन शाकाहारी होने जैसा अनुभव नहीं करें; बल्कि स्वेच्छा से ऐसा करें। यह उनकी खुद की भलाई के लिए है क्योंकि वे अपनी खुद के महान, करूणामय, प्रेममयता और आत्म-प्रकृति को जागृत करेंगे। और फिर उनकी चेतना का स्तर स्वतः उपर उठेगा। और वे उससे अधिक समझेंगे जो उन्होंने कभी समझा। और वे उसकी अपेक्षा स्वर्ग के अधिक निकटतर होंगे जितने वे अभी हैं। और हमारे पास परिवर्तन को जारी रखने की अनुमति देने का उतना समय भी नहीं है। हमें तेजी से बदलाव करना है। हम केवल नहीं कह सकते, ठीक है, आज मैं एक और महीना और अगला वर्ष प्राप्त करता हूं, मेरे पास एक और महीना और दूसरा वर्श है मेरे पास एक और महीना है। और वह सदैव जारी रहेगा। यह उस तरह नहीं है। शायद जगत फिर भी पूर्णतः तेजी से नष्ट नहीं हो, लेकिन विपदा जारी रहेगी। यह केवल जगत का अंत नहीं है। केवल है कि वह अभी तक वापस नहीं लौटनेवाला विन्दु है। इतना ही है। नहीं लौटनेवाले विंदु से वह फिर नीचे की ओर लुढ़केगा। और कोई बदलाव घटित नहीं हो सकता। उस समय और कोई सहायता नहीं कर सकता। मैं आपको यह शिक्षा नहीं देना चाहती हूं। अभी इस बारे में बात करने की कोई आवष्यकता नहीं है क्योंकि हमारे पास अभी भी समय है। हम आाषा करें कि हम विपदा की विपदा की स्थिति। मैं सचमुच आशापूर्ण हूं। मैं इस बारे में सकारात्मक अनुभव करती हूं। मैं सकारात्मक अनुभव करती हूं कि लोग बदलेंगे। केवल आस्ट्रेलिया में ही नहीं कि हम विपदा की उपेक्षा करेंगे, बल्कि जगत में सर्वत्र। वही है जिसके बारे में मैं सकारात्मक हूं। मैं अनुभव करती हूं लोग बदलेंगे; बहुसंख्यक लोग बदलेंगे। और मुझे केवल ग्रह की आबादी के 2/3 की आवश्यकता है जो बदले, फिर हम जगत को बचा सकते हैं और ग्रह की मरम्मत कर सकते हैं। और शाकाहारी लोग समृद्धि, प्रेम और दयापूर्ण जगत में खुशी पूर्वक रहेंगे।