खोज
हिन्दी
शीर्षक
  • English
  • 正體中文
  • 简体中文
  • Deutsch
  • Español
  • Français
  • Magyar
  • 日本語
  • 한국어
  • Монгол хэл
  • Âu Lạc
  • български
  • bahasa Melayu
  • فارسی
  • Português
  • Română
  • Bahasa Indonesia
  • ไทย
  • العربية
  • čeština
  • ਪੰਜਾਬੀ
  • русский
  • తెలుగు లిపి
  • हिन्दी
  • polski
  • italiano
  • Wikang Tagalog
  • Українська Мова
  • Others
  • English
  • 正體中文
  • 简体中文
  • Deutsch
  • Español
  • Français
  • Magyar
  • 日本語
  • 한국어
  • Монгол хэл
  • Âu Lạc
  • български
  • bahasa Melayu
  • فارسی
  • Português
  • Română
  • Bahasa Indonesia
  • ไทย
  • العربية
  • čeština
  • ਪੰਜਾਬੀ
  • русский
  • తెలుగు లిపి
  • हिन्दी
  • polski
  • italiano
  • Wikang Tagalog
  • Українська Мова
  • Others
शीर्षक
प्रतिलिपि
आगे
 

सुप्रीम मास्टर चिंग हाई (वीगन) मांस के हानिकारक प्रभावों पर, भाग 7 - हिंसा का घेरा

विवरण
डाउनलोड Docx
और पढो
यदि हम मांस खाते हैं, तो हमें मांस से ही चुकाना होगा। इसलिए, हमारे शरीर में दर्द होता है, या हम मर जाते हैं, या हमें बीमारी, कैंसर, और इस तरह की सभी चीजें मिलती हैं। यह होता है "आंख के लिए आंख, दांत के लिए दांत" के नियम के कारण; "मांस के लिए पेट और पेट के लिए मांस, और ईश्वर दोनों मांस और उन्हें मार देते हैं।" क्योंकि हम मांस खाते हैं, हमें मांस से ही चुकाना होता है। इसलिए, युद्ध होते हैं: क्योंकि कभी-कभी हम इतने सारे जानवर मारते हैं, और हम केवल एक के बाद एक जीवन से चुका नहीं सकते। और परिणामस्वरुप युद्ध आते हैं, और फिर कई लोग एक साथ मारे जाते हैं। इसलिए, सामूहिक कर्म जल्दी मिट जाते हैं। इसलिए युद्ध को दोष न दें, या अपने खुद के अलावा किसी और को भी दोष न दें।

पशु आहार हिंसा का आहार है। यह तब से ही शुरू होता है जिस तरह हम उन्हें पालते हैं, जिस तरह हम उनके साथ व्यवहार करते हैं, जिस तरह हम उन्हें एंटीबायोटिक दवाओं के साथ जबरदस्ती खिलाते हैं, और उनको सभी प्रकार की यातनाएं देते हैं, और यह उस तरीके से समाप्त होता है जिस तरह से हम उन्हें क्रूर तरिके से मारते हैं, सामूहिक रूप से उनका नरसंहार करते हैं बस हमारे एक क्षण भर के आनंद के लिए। इसलिए हमें इस हिंसक चक्र का हिस्सा बनना बंद करना होगा। प्रत्येक व्यक्ति औसत मानव जीवनकाल में लगभग 3,000भूमि के जानवरों - यानी कि गायों, सूअरों, मुर्गियों आदि को खाता है तीन हजार! इसलिए यदि हम एक मांसाहारी हैं, तो हम इस दुनिया से जाने से पहले इन 3,000 जीवित प्राणियों के हिंसक कारावास, बारंबार यातना, और हत्या के लिए जिम्मेदार होते हैं।

वैश्विक स्तर पर, यह अनुमान किया गया है कि हर साल 60 बिलियन भूमि के जानवर और अरबों अधिक समुद्री जानवरे मारे जाते है, बड़े पैमाने पर भीड़ और दर्दनाक कारखाने की परिस्थितिओं में; अस्वास्थ्य और, गंदी स्थितियों में। यह वास्तव में एक युद्ध है: जानवरों पर युद्ध। यह मनुष्यों के बीच हो रहे हमारे युद्धों के समान है, सिवाय इसके कि हम मानव कई बार खुद की बचाव भी कर सकते हैं। लेकिन जानवर, वे असहाय हैं, वे आशाहीन हैं, और यहाँ हम सच में उनके साथ दुर्व्यवहार करते हैं। यह एक यद्ध है पूर्ण कारावास, यातना, चाकू और बंदूक और विस्फोटक से हत्या भी, लोगों के लिए अत्यंत उच्च खर्च और स्वास्थ्य क्षति, और सभी प्रकार के विनाश, जैसे कि मनोवैज्ञानिक क्षति और पर्यावरणीय तबाही, और जल्द ही, शायद पूरे ग्रह का विनाश भी। यदि हम अशांतिपूर्ण ऊर्जा उत्पन्न करना जारी रखते हैं, चाहे मनुष्यों के बीच युद्ध से या जानवरों पर युद्ध के माध्यम से, तो हम शांति नहीं पा सकते क्योंकि जैसा कार्य है वह वैसा ही फल देता है।

यदि हम प्रेममयी दयालुता के रास्ते पर नहीं चलते, तो हम हिंसा के अशांति के क्षेत्र को चौड़ा करते हैं। हम इसका प्रमाण पशु फार्मों और बूचड़खानों में देख सकते हैं जहाँ हमारे निर्दोष और सचेत पशु सहवासियों के लिए कोई शांति नहीं है। इतना ही नहीं, उन अनगिनत जंगली जानवरों के लिए भी कोई शांति नहीं है, जो हर दिन पशु उद्योग के लिए खाली की गई जमीन से अपना निवास खो देते हैं। 80% से अधिक अमेज़ॅन के तेजी से वन विनाश होते क्षेत्र पशुधन के लिए चारागाह बन गए हैं, बाकी के हिस्से ज्यादातर पशुधन को फसल खिलाने के लिए हैं। लाखों जरूरतमंद लोगों के लिए भी कोइ शांति नहीं है, जो भूख और प्यास से पीड़ित हैं, जो केवल पशुधन उद्योग द्वारा खपत किए गए बड़े संसाधनों से और बिगड़ रहा है। इन पशु कारखानों के पड़ोसियों के लिए कोई शांति नहीं है, जहां हाइड्रोजन सल्फाइड, अमोनिया और बैक्टीरिया से भरी धूल एक असहनीय बदबू पैदा कर सकती है और स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकती है, जो लोगों को आंतरिक रुप से फंसाती है और उन्हें अपने घरों से बाहर निकालती है। यहां उपभोक्ताओं के लिए भी कोई शांति नहीं है जो मांस से संबंधित बीमारियों की बढ़ती प्रकोपों से ग्रस्त हैं।

और अंत में, मांस और डेयरी उद्योग से वित्तीय लाभ प्राप्त करने वाले कुछ लोगों के लिए भी कोई शांति नहीं है। उन्हें अपने कार्यों के भयानक परिणामों को भुगतना ही होगा, यदि इस जीवन में नहीं, तो इसके बाद, क्योंकि ईश्वर ने यिन जानवरों को नुकसान पहुंचाने या मारने वाले लोगों को चेतावनी दी है कि ये सभी क्रूरता रोकनी होगी। ऐसा बाइबल में कहा गया है। "यह सब क्रूरता बंद करो या ईश्वर उनकि ओर नहीं देखेंगे जब वे उनसे प्रार्थना करते हैं, क्योंकि उनके हाथ निर्दोष के खून से भरे हुए होते हैं।" इसलिए, पूरी तरह से शांतिपूर्ण दुनिया एक वीगनी दुनिया होनी चाहिए, जहां सभी प्राणी शांति से रहेंगे और एक दूसरे से डरेंगे नहीं।

हम सभी एक शांतिपूर्ण दुनिया चाहते हैं और हम सभी इस बारे में बात करते हैं कि हम शांति और प्रेम कितना चाहते हैं। खैर, मुझे लगता है कि हमें इसे अभी शुरू करना होगा और अपने प्लेटों से शांति शुरू करनी होगी। अपने चुनाव से प्रेम को शुरु होने दो। जब कोई व्यक्ति किसी भी सचेत प्राणि की हत्या में सहभागी होता है प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से, चाहे वह इंसान हो या जानवर, वह बदले और हिंसा के चक्र में प्रवेश करता है। और यह तभी खत्म होगा जब कोई यह करना बंद करता है।

हम सभी अपने बच्चों को बुद्धिमान, प्रेममय और दयालु होने की कामना करते हैं, लेकिन हम उन्हें उनके बेहद नाजुक जीवन की शुरुआत से क्या सिखाते हैं? हम उन्हें क्या सिखाते हैं? हम हिंसा के प्रतीक को उनके मुंह में धकेलते हैं। यहां तक कि अगर वे इसे थूकते भी हैं, तो भी हम उन्हें मजबूरी से फिर से खिलाते हैं जब तक उन्हें इसकी आदत न हो जाए। हिंसा हमारे जीवन का एक हिस्सा है, अब तक। हम अपने बच्चों को भी हिंसा ही सिखाते हैं, और हम उनसे प्रेममय और दयालु होने की उम्मीद करते हैं। केवल हिंसा नहीं, वह मांस या मछली या जानवरों का अंश जो हम अपने बच्चों के अनजान पेट को खिलाते हैं वह उनकी बुद्धिमत्ता को भी कम करता है, उनकी प्रेमपूर्ण गुणवत्ता और मानवता को भी कम करता है। इसलिए हम उम्मीद करते हैं कि हमारे बच्चे सबसे अच्छे हों, और हम उन्हें सबसे खराब देते हैं। खराब में से सबसे खराब मांस आहार है।

हम कहते हैं कि हम लंबा जीवन चाहते हैं, हम स्वास्थ्य चाहते हैं, हम शांति चाहते हैं, लेकिन यह सच नहीं है। हम कैसे स्वास्थ्य चाह सकते हैं जब हम धूम्रपान करते हैं, पीते हैं, मांस खाते हैं, और ड्रग्स लेते हैं। हम यह नहीं कह सकते कि हमें शांति चाहिए अगर हम हर दिन हिंसा में जी रहे हैं, यहां तक कि परोक्ष रूप से भी, मांस खा रहे हैं तो। वह हिंसा है। और हम जो कुछ भी खाते हैं, वह सब हमारे आयु को छोटा करता है, और हम कहते हैं कि हम लंबे जीवन जीना चाहते हैं। (मांस) खाने, धूम्रपान करने और पीने, यह सभी जीवन को छोटा करते हैं। और हम बुद्धिमान बनना चाहते हैं, लेकिन हम अपने मस्तिष्क को जहर देते हैं। इसलिए हम सच में जो चाहते हैं उसके सब कुछ विपरीत करते हैं। इसीलिए हमें समस्याएं आते है, हमें बीमारी है, हमारे यहां युद्ध है। हां, ये इसके परिणाम हैं।

हम स्वर्ग के संतान हैं। यदि हम कुछ चाहते हैं, तो हमें वह संकेत दिखाना होगा जो हम चाहते हैं। अब, अगर हम शांति चाहते हैं, हम परोपकार चाहते हैं, हम प्रेम चाहते हैं, स्वर्ग से आशीर्वाद चाहते हैं, तो हमें अपने कर्म से यह दिखाना शुरू करना होगा। हमें एक-दूसरे के प्रति प्रेम दिखाना होगा। हमें एक-दूसरे के प्रति उदार होना होगा। हमें सभी के प्रति उदार होना होगा। तब स्वर्ग कहेगा, "अह! मेरे बच्चे यही चाहते हैं!" और फिर वही होगा। लेकिन हम बैठे-बैठे बस शांति और परोपकार के लिए प्रार्थना नहीं सकते जब हमारे कार्य इसके ठीक विपरीत दिशा में हों। हम दक्षिण में जाकर फिर उत्तर में होने की प्रार्थना नहीं कर सकते हैं। आप समझें? (यह सच है।) यह हिंसा और मनुष्यों और जानवरों की हत्या निश्चित संकेत है कि हम प्रेम नहीं चाहते, कि हम करुणा नहीं चाहते, कि हम शांति नहीं चाहते।

युद्ध कभी भी सही नहीं होता। हत्या कभी भी सही नहीं होती। इसलिए यदि हम सभी अन्य लोगों को खुद से समान ही मानते हैं, तो बस अपने आप को उनकी स्थिति में रखें, तो हम पूरी तरह से जान पाएंगे कि हमें क्या करना है। किसी को भी नुकसान पहुंचाने का या साथी जानवरों, या अपने सह-निवासियों को नुकसान पहुंचाने का कभी भी कोई बहाना नहीं चलेगा, यहां तक कि स्वास्थ्य के नाम पर, विज्ञान के नाम पर भी, या जो भी हो, नहीं चलेगा। कुछ भी नहीं! अगर हम जानवरों को नहीं मारते या हम एक दूसरे को नहीं मारते, तो हम इस बिंदु तक नहीं पहूँचे होते जो हम आज पहुंचे हैं, इतने समस्याओं के साथ, इतने सारी आपदाएं, बहुत सारे कष्ट, बहुत सारे युद्ध बहुत बीमारीओं के साथ। हम जितने जानवरों को मारते हैं, यहां तक कि प्रयोगशालाओं के प्रयोगों के लिए भी, उतनी ही अधिक बीमारी हमें मिलती है। देखो! हम बस एक बीमारी का इलाज करते हैं और दूसरा पैदा होता है! पहले से भी बदतर! कर्म (प्रतिफल) का नियम , इस ब्रह्मांड का महान कानून कभी विफल नहीं होता।
और देखें
प्रकरण  7 / 20
और देखें
नवीनतम वीडियो
33:14

उल्लेखनीय समाचार

111 दृष्टिकोण
2024-04-17
111 दृष्टिकोण
2024-04-17
136 दृष्टिकोण
साँझा करें
साँझा करें
एम्बेड
इस समय शुरू करें
डाउनलोड
मोबाइल
मोबाइल
आईफ़ोन
एंड्रॉयड
मोबाइल ब्राउज़र में देखें
GO
GO
Prompt
OK
ऐप
QR कोड स्कैन करें, या डाउनलोड करने के लिए सही फोन सिस्टम चुनें
आईफ़ोन
एंड्रॉयड