खोज
हिन्दी
शीर्षक
  • English
  • 正體中文
  • 简体中文
  • Deutsch
  • Español
  • Français
  • Magyar
  • 日本語
  • 한국어
  • Монгол хэл
  • Âu Lạc
  • български
  • bahasa Melayu
  • فارسی
  • Português
  • Română
  • Bahasa Indonesia
  • ไทย
  • العربية
  • čeština
  • ਪੰਜਾਬੀ
  • русский
  • తెలుగు లిపి
  • हिन्दी
  • polski
  • italiano
  • Wikang Tagalog
  • Українська Мова
  • Others
  • English
  • 正體中文
  • 简体中文
  • Deutsch
  • Español
  • Français
  • Magyar
  • 日本語
  • 한국어
  • Монгол хэл
  • Âu Lạc
  • български
  • bahasa Melayu
  • فارسی
  • Português
  • Română
  • Bahasa Indonesia
  • ไทย
  • العربية
  • čeština
  • ਪੰਜਾਬੀ
  • русский
  • తెలుగు లిపి
  • हिन्दी
  • polski
  • italiano
  • Wikang Tagalog
  • Українська Мова
  • Others
शीर्षक
प्रतिलिपि
आगे
 

शांतपूर्ण शाकाहारी आहार - सभी प्रबुद्ध गुरूजनो के बीच का एक सार्वजनिक सूत्र है-4 का भाग 3

2018-11-02
भाषा:English,Spanish (Español)
विवरण
डाउनलोड Docx
और पढो
हिंदू धर्म में, प्रकृति पवित्र है और सभी प्राणी बराबर हैं। हिंदू धर्म का मुख्य सिद्धांत है अहिंसा (अहिंसा) कई हिंदू लोग शाकाहारी को एक नित्य की साधना या अध्यात्मिक अभ्यास मानते हैं। हिंदू धर्म के विशाल धर्म ग्रंथ में हज़ारों पद्य हैं शाकाहारी की सलाह देते अहिंसा और आध्यात्मिकता के बीच विशाल सम्पर्क के आधार पर।

हिंदू धर्म के क़ानून की किताबों में कई निर्देश हैं सभी जीवन की पवित्रता के सिद्धांतों पर। मनुस्मृति में, एक विशेष रूप से प्रसिद्ध हिंदू पारम्परिक क़ानून की किताब पशुओं की हत्या और माँस के खाने को दृढतपूर्वक निंदा करता है। भागवत गीता में, कृष्ण हमें याद दिलाते हैं कि प्रत्येक प्राणी में एक रूह होती है, और हर प्राणी में वही “परमात्मा” होता है सभी जीवों में यह पहचान होती है और जानवरों और मनुष्यों में सम्बंध भारतीय धर्मों में व्याप्त है विचार और अभ्यास के द्वारा।

शाकाहारी की यहूधि धर्म में मज़बूत परम्परा है, ईडन के बग़ीचे का मूलभूत रूपरेखा। यहूदी मानता है कि मानव जीवन पवित्र है, और हमें मेहनत से अपने स्वास्थ्य का ख़्याल रखना चाहिए और अपनाना चाहिए वनस्पति आधारित आहार जो है सही रास्ता भगवान की शिक्षा से मेल खाता। और भगवान ने कहा : “देखो, मैंने आपको दिए हैं हर औषधि समर्पण बीज जो सारे धरती के मुख पर है और प्रत्येक पेड़ जिसमें है फल देने वाला बीज - आपके लिए वह भोजन होगा।” जेनेसिस “एक पशु को दुःख और दर्द से मुक्त करना बाइबल का एक नियम है।” -तलमुद, सैबथ,

जैन धर्म भी अहिंसा के अभ्यास पर ज़ोर देता है, और सिखाता है सभी प्राणियों को देखना जैसे हम स्वयं को देखते हैं, इस प्रकार उन्हें कष्ट देना है कष्ट स्वयं को देना ही: “सभी प्राणी हैं स्वयं के प्रिय, उन्हें आनंद प्रिय है, उन्हें दर्द से नफ़रत है, वे विनाश का त्याग करते हैं, उन्हें जीवन प्रिय है और वे अधिक लम्बा जीना चाहते हैं। सभी को, जीवन प्रिय है ; इसलिए उनका जीवन रक्षित होना चाहिए। अगर आप किसी की हत्या करते हो, यह है जैसे आप स्वयं की हत्या करते हो। अगर आप किसी को हराते हो, यह स्वयं को हराते हो जैसे। अगर आप किसी को पीड़ा देते हो, यह स्वयं को पीड़ा देने के समान है। अगर आप क्षति पहुँचाते हो, यह स्वयं को क्षति पहुँचाने के समान है।” -भगवान महावीर
और देखें
नवीनतम वीडियो
33:14

उल्लेखनीय समाचार

113 दृष्टिकोण
2024-04-17
113 दृष्टिकोण
2024-04-17
137 दृष्टिकोण
साँझा करें
साँझा करें
एम्बेड
इस समय शुरू करें
डाउनलोड
मोबाइल
मोबाइल
आईफ़ोन
एंड्रॉयड
मोबाइल ब्राउज़र में देखें
GO
GO
Prompt
OK
ऐप
QR कोड स्कैन करें, या डाउनलोड करने के लिए सही फोन सिस्टम चुनें
आईफ़ोन
एंड्रॉयड